सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी, चुनाव में धर्म का उपयोग अनुचित
सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी, चुनाव में धर्म का उपयोग अनुचित
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया कि धर्म और राजनीति को मिश्रित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगा जा सकता है और चुनावी लड़ाई के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की बेंच के सामने धर्म के नाम पर वोट मांगने से संबंधित मामले की सुनवाई हो रही है.

इस दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि इस मामले में संसद ने पिछले 20 साल में कुछ नहीं किया है. चीफ जस्टिस ने स्पष्ट तौर पर कहा कि चुनावी लड़ाई के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. धर्म के आधार पर वोट नहीं मांगा जाना चाहिए. अगर चुनावी प्रक्रिया में धर्म को किसी भी तरह से इजाजत दी गई तो चुनाव से संबंधित कानून अर्थहीन हो जाएगा.

सुनवाई के लिए अपनी प्राथमिकता को स्पष्ट करते हुए अदालत ने कहा कि धर्म को परिभाषित करना कोर्ट के सामने मुद्दा नहीं है, बल्कि हमारे सामने मुद्दा यह है कि क्या धर्म के नाम पर वोट मांगना जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत भ्रष्ट प्रयास माना जाएगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है.

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