प्रदोष व्रत की महिमा निराली है। गुरूवर आचार्य डाॅ. सर्वेश्वर शर्मा ने प्रदोष व्रत की महिमा बताई है कि सनातन धर्म के अनुसार, प्रदोष-व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान कराने वाला है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष-व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष-व्रत का अपना विशेष महत्व है।
सप्ताहिक दिवस (वार) अनुसार प्रदोष-व्रत का फल भी भिन्न - भिन्न बताया गया है। जैसे -
* यदि आप रविवार के दिन प्रदोष-व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे।
* सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलितहोती है।
* मंगलवार कोप्रदोष-व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं।
* बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है।
* बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है।
* शुक्र प्रदोष-व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
* शनि प्रदोष-व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है।