भारत रत्न पं.जवाहरलाल नेहरु का नाम सदैव अमर रहे
भारत रत्न पं.जवाहरलाल नेहरु का नाम सदैव अमर रहे
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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री तथा भारत रत्न पं.जवाहरलाल स्वतंत्रता के पहले और बाद में भारतीय राजनीती के मुख्य केंद्र बिंदु रहे है। तथा बाद में वे महात्मा गाँधी के सहायक के तौर पर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता थे जो अंत तक भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए लड़ते रहे और स्वतंत्रता के बाद भी 1964 में अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की हम आपको बता दे कि 27 मई 1964 को यह महापुरुष सदा के लिये चले  गए। आज यही महापुरुष की पूण्यतिथि है। हम उन्हें दिल से श्रधांजलि देते है। 

इस मौके पर हम आपको बताते है उनके जीवन की कुछ ख़ास बाते.. नेहरु जी का जन्म 14 नव्हंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ इनके पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरु तथा माता का नाम स्वरूपरानी नेहरु तथा कमला नेहरु इनकी जीवन संगिनी थी।1910 में केब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनटी कॉलेज से उपाधि संपादन की. 1912 में ‘इनर टेंपल’ इस लंडन कॉलेज से बॅरिस्ट बॅरिस्टर की उपाधि प्राप्त की।इन्हें बच्चो से काफी लगाव था अतः बच्चे इन्हें चाचा नेहरु के नाम से जानते है। तथा पंडित संप्रदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरु भी कहा जाता है।हम आपको बता दे की ये राजनीति में सक्रीय होने के साथ साथ एक अच्छे लेखक भी थे। जिन्होंने आत्मचरित्र (1936), दुनिया के इतिहास का ओझरता दर्शन (1939), भारत की खोज (1946) आदि जो आज भी काफी लोकप्रिय है। 

इन्होने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी तथा वे सतत भारत को आज़ाद भारत बनाने के लिए ब्रिटिशो के विरुद्ध लड़ते रहे तथा अपने आप को एक सफल नेता के रूप में स्थापित किया इनका कहना था की “असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश और सिद्धांत भूल जाते है। ”भारतमाता के ऐसे वीर सपूत तथा सभी के दिलो में राज करने वाले देश के महापुरुष को एक बार फिर दिल से श्रधांजलि,आधुनिक भारत के निर्माता एवं विश्व शांति के अग्रदूत के रूप में पं. जवाहरलाल नेहरु का नाम सदैव इतिहास में अमर रहेगा।

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