गुड़ी पड़वा अर्थात नववर्ष संवत्सर प्रतिपदा को लेकर पंचांगों में मतभेद है। किसी पंचांग में जहां 28 मार्च को नववर्ष संवत्सर और चैत्र नवरात्रि की शुरूआत बताई गई तो किसी किसी पंचांग में 29 मार्च से। बावजूद इसके 29 मार्च को ही नववर्ष संवत्सर प्रतिपदा के साथ नवरात्रि की शुरूआत श्रेष्ठ रहेगी।
हमारे धर्मशास्त्र ही नहीं पुराने समय से प्रकाशित होने वाली पंचांगों में 29 मार्च को ही नववर्ष संवत्सर प्रतिपदा मनाना उचित बताया गया है, क्योंकि पंचांगों की गणना में प्राचीन गणना अपना महत्व रखती है। चूंकि पूर्व से लेकर पश्चिम तक सूर्य उदय से लेकर अस्त तक एक घंटे का अंतर आता है तथा पंचांगों की गणना के गणित भी अलग सिद्धांत पर आधारित होने से भ्रम की स्थिति पैदा करती है।
28 मार्च को उदयकाल में सभी पंचांगों ने अमावस्या को एकमत होकर माना है और 29 मार्च को उदयकाल प्रतिपदा तिथि को सभी ने कुछ पलों के लिये माना है। इसलिये नव वर्ष संवत्सर और चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 29 मार्च को ही मानना श्रेष्ठ है।
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