जन्माष्टमी का त्यौहार हर साल आता है और इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल जन्माष्टमी को लेकर लोग असमंजस में है की नन्दलाल का जन्म दिवस 14 अगस्त को मनाये या 15 अगस्त को अगर आप इस बात से परेशान है तो आइये हम आपकी परेशानी को दूर कर देते है.
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म काल रात्री के समय रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इस दिन वर्ष राशि में चंद्रमा और सिंह राशि में सूर्य थे इसलिए कृष्ण भगवान् का जन्म दिवस इस काल में मनाते है. इस बार यह जन्माष्टमी 14 अगस्त को सांय 07.45 पर कार्यक्रम आरम्भ होगा और 15 अगस्त को सांय 5.40 पर समाप्त होगा.
वृंदावन के चार मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है रंगजी मंदिर में हर तीसरे साल में जन्माष्टमी के उत्सव को कृष्ण जन्मोत्सव के एक महीने बाद मनाया जाता है जहा गौडीय सम्प्रदाए के तीन मंदिर राधारमण, राधा दामोदर एवं शाहजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिन के दिन मनाई जाती है। रंग जी मंदिर में एक माह बाद जन्माष्टमी मनाई जाएगी। राधारमण मंदिर में बालस्वरूप में सेवा होने के कारण वे दीर्घायु का आशीर्वाद देते है.
वृन्दावन के प्राचीन राधारमण मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेश चन्द्र गोस्वामी ने बताया है कि मंदिर में श्री कृष्ण की बालस्वरूप में सेवा होती है इसलिए लला को रात में जगाकर उनका जन्म दिवस मनाना ठीक नहीं है। नन्द लाला का जन्म दिवस उसी प्रकार मनाया जाएगा जिस प्रकार एक बच्चे को तैयार करते है उसे नये नये कपडे पहनाते है अच्छे अच्छे पकवान खिलाते ठीक उसी प्रकार नन्द लाला के जन्म दिवस पर उन्हें नए नए कपडे व गहने से उनका श्रंगार करेंगे, उनके लिए कई तरह के पकवान बनायेंगे तथा उनके मंदिरो को सजायेंगे.
गौडीय परम्पराओं के आधार पर कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार दिन में इसलिए मनाते है की उन्होंने मंदिर में ठाकुर का यमुना एवं गंगाजल से अभिषेक कराने के बाद कई मन दूधए दही आदि से पंचामृत अभिषेक किया जाता है। इस अवसर पर चंदन, बीजाष्टक, गुलाबजल, सुमंगली, पंचगव्य, पुष्प, औषधियों, महाऔषधियों आदि से अभिषेक किया जाता है। सबसे अंत में एक किलो केसर से अभिषेक होता है।
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