माता आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहा है। नवरात्रि में घट (कलश या छोटा मटका) स्थापना व नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। घट स्थापना करते समय यदि वास्तु नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है।
1. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को देवताओं की दिशा माना गया है। इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है।
2. यदि माता प्रतिमा के समक्ष अखंड ज्योत जला रहे हैं, तो इसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें। पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
3. घट की स्थापना चंदन के बाजोट (पटिए) पर करें तो बहुत शुभ होता है। पूजा स्थल के ऊपर यदि टाण्ड हो तो उसे साफ-सुथरी रखें। कोई कपड़ा या गंदी वस्तुएं वहां न रखें।
4. कई लोग नवरात्र में ध्वजा भी बदलते हैं। ध्वजा की स्थापना घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में करें।
5. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके। स्थापना स्थल के आस-पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए।