चंडीगढ़: अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समीति ने हरियाणा सरकार द्वारा गठित कमेटी के साथ आगामी किसी तरह की वार्ता करने से इनकार कर दिया है। समीति का आरोप है कि सरकार द्वारा गठित कमेटी के पास किसी तरह के अधिकार नहीं है। यह कमेटी फैसला लेने में सक्षम नहीं है। जिसके चलते आज कोर कमेटी ने बैठक में यह निर्णय लिया कि अब इस कमेटी के साथ कोई वार्ता नहीं की जाएगी।
आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय के लोग पिछले महीने की 29 जनवरी से प्रदेश के सभी जिलों में धरने पर बैठे हुए हैं। हरियाणा सरकार ने इस विवाद को सुलझाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया था। यह समीति दो बार जाट प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर चुकी है। दोनों ही वार्ताएं विफल रहने के बाद हरियाणा सरकार अगले सप्ताह में फिर से जाट प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की तैयारी में थी।
इसी दौरान आज अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समीति ने अपनी नई रणनीति का ऐलान कर दिया है। कोर कमेटी की बैठक के बाद यशपाल मलिक ने कहा कि सरकार ने कमेटी का गठन तो कर दिया है लेकिन उसे किसी तरह के कोई अधिकार नहीं दिए गए हैं। पिछली दो बैठकों में उनकी मांगों को लेकर कमेटी में शामिल अधिकारियों का केवल एक ही जवाब रहा है कि उपर बात करेंगे।
ऐसे में आज कोर कमेटी ने फैसला किया है कि बिना अधिकारों वाली ऐसी किसी भी कमेटी के साथ वार्ता नहीं की जाएगी। सरकार जाटों की मांगों से पूरी तरह अवगत है। अगर सरकार मांगों को मानती है और सभी के साथ समान व्यवहार करती है तो जाट वार्ता को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा सरकार झूठे मुकदमे वापस नहीं ले सकती तो असली दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दे। हिंसा क्यों हुई और इसके पीछे साजिशकर्ता भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं, अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध सीबीआई जांच करवाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया तो पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार आंदोलन की गति तेज की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार भाजपा के उन कार्यकर्ताओं को बचाना चाहती है जिन्होंने वर्ष 2016 में हिंसा को भडक़ाने का काम किया। उन्होंने कहा कि पिछली दो बैठकों में जाट प्रतिनिधियों ने जब भी हिंसा को भडक़ाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं का मुद्दा कमेटी के समक्ष उठाया तो उन्होंने जाट समाज पर गंभीर धाराओं के तहत दर्ज केसों का हवाला देकर मीडिया व जनता के सामने जाट समाज को दोषी साबित करने का प्रयास किया है।
मलिक ने आरोप लगाया कि अब तक की बैठकों में सरकार के इशारे पर अधिकारियों ने इस विवाद का हल करने की बजाए उसे और अधिक उलझाने का काम किया है। जिसके विरोध में समूचा जाट समाज एकजुट है।
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