अब छोटो स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को भी मिलेगी हाईटेक शिक्षा
अब छोटो स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को भी मिलेगी हाईटेक शिक्षा
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नई दिल्ली: अब छोटे स्कूल में पड़ने वाले विधार्थियो को भी बड़े स्कूल में पड़ने वाले छात्रों की तरह हाईटेक शिक्षा मिलेगी, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने पहल की है अब छात्र स्मार्ट क्लास में बैठकर किताबों में वर्णित पाठ्य सामग्री को स्क्रीन पर देखकर उसे सीखने और समझने की कोशिश करेंगे. इतना ही नहीं छोटे बजट के स्कूलों के अध्यापकों को अत्याधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए उन्हें वर्चुअली प्रशिक्षित भी किया जाएगा. वही ऐसा भी माना जा रहा है कि अखिल भारतीय संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलाएंस (निसा) और माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के एक साथ आने से माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने पहली बार देश में स्कूलों के साथ जुड़कर शिक्षण प्रशिक्षण के क्षेत्र में कदम बढ़ाने का फैसला किया है.

साथ ही आपको यह भी बता दे निसा और अग्रणी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट इंडिया से करार करते हुए हस्ताक्षर किया है, जिसके अनुसार देश के 20 राज्यों के 55 हजार स्कूल माइक्रोसॉफ्ट एस्पायर स्कूल प्रोग्राम (एमएएसपी) से लैस किए जाएंगें. इस प्रोग्राम के तहत स्कूलों के छात्रों को प्रॉडक्टिविटी टूल्स, ऑफिस 365, स्काइप, यैम्मर, विंडोज़ ऐप्स, एज्य़ोर कॉसेंप्ट्स, बिग डाटा एंड इंटरनेट ऑफ थिंग्स, एंट्रप्रेन्योरशिप केस स्टडीज़ और गेमिंग सीखने को मिलेगा. इतना ही नहीं छात्र महीने में चार वेबिनारों (ऑनलाइन सेमिनार) को भी अटेंड करेंगे.

वही इस मुद्दे  पर निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के साथ हुए करार पर अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए मीडिया से कहा कि, इस पहल से अब उनके संगठन से जुड़े 55 हजार स्कूलों को एमएएसपी प्रो-प्लस टेक्नोलॉजी हासिल हो सकेगी. इससे बजट स्कूलों की अभिगम्यता, सामर्थ्य और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के हमारे संगठन के उद्देश्य को बल मिलेगा.
 
उनके बाद माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के स्मॉल एंड मिड मार्केट सॉल्यूशन के महाप्रबंधक अमित कुमार ने मीडिया से कहा कि, निसा द्वारा अपने स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के सपने को पूरा करने में सहयोगी बनकर हमें काफी अच्छा लग रहा है. आगे अमित ने कहा कि, मुझे पूरा विश्वास है कि शिक्षा में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर इस क्षेत्र की सीमितताओं से पार पाने का मौका मिलेगा. अध्यापक और छात्र दोनों को अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने में समर्थ हो सकेंगे.

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