सुबह-दोपहर में खाओं, लेकिन शाम को नहीं
सुबह-दोपहर में खाओं, लेकिन शाम को नहीं
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पान न केवल पूजा पाठ के लिये अति शुभ माना जाता है तो वहीं पान खाने के शौकिनों की भी कमी नहीं देखी जा सकती है। पान खाने का समय यूं तो निश्चित नहीं किया जा सकता है और न ही पान खाने से शौकिनों को रोका ही जा सकता। लेकिन शाम के समय अर्थात सूर्यास्त के बाद यदि पान न खाया जाये तो उत्तम होता है।

ऐसा माना जाता है कि यदि सूर्यास्त के बाद पान खाया जाये तो दरिद्रता ही नहीं बल्कि भाग्य भी दुर्भाग्य में बदल सकता है। इसलिये चाहे सुबह पान खाओं या फिर दोपहर में या फिर शाम के समय लेकिन सूर्यास्त के बाद पान न खाया जाये। इसके अलावा एकादशी तिथि तथा श्राद्ध के दिन भी पान खाना वर्जित माना गया है।

पान सेहत के लिये भी बेहतर बताया जाता है तथा पान के शौकिनों के कारण ही पान की दुकान संचालकों की अच्छी खासी कमाई होती है। परंतु यदि थोड़ा सा नियम रख लिया जाये तो इसमें क्या बुराई हो सकती है। हां यदा-कदा शाम के बाद पान का सेवन किया जा सकता है क्योंकि शादी ब्याह की पार्टी के बाद पान न खाया जाये तो क्या मजा!

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