भाई दूज का महत्व
भाई दूज का महत्व
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हिन्दू धर्म में कई सारे रीति रिवाज विद्यमान हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। वैसे तो हिन्दू परंपरा के अनुसार एक साल में हिन्दू धर्म के अन्तर्गत तीन त्यौहार प्रमुख माने जाते है और जिसमें सबसे ज्यादा प्रमुखतः दिवाली के त्यौहार की होती है। जी हां दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसे अन्य बाकि त्यौहारों से काफी प्रमुख माना जाता है। लेकिन यहां पर हम आपसे इस त्यौहार के बारे में चर्चा नहीं करने वाले हैं, बल्कि इसी त्यौहार से संबधित जो की दिवाली के बाद आता है, भाई दूज के विषय में बात करने वाले हैं। रक्षाबंधन के बाद भाईदूज एक ऐसा त्यौहार है जो खासतौर पर भाई-बहन के लिए होता है। इस दिन भाई और बहन के बीच एक अनुठा संबध देखने को मिलता है। 

भाई बहन का यह, प्यार भरा त्यौहार दिपावली के बाद आता है। रक्षाबंधन के बाद भाई-बहन का यह दूसरा त्यौहार होता है। हिन्दू धर्म के मुताबिक यह त्यौहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। जहां एक ओर पूरे जीवन भर भाई-बहन के इस रिश्ते में खींच-तान देखी जाती है तो वहीं जब बात त्यौहार की आती है तो तब दोनोे के बीच इस अमूल्य रिश्तो में प्यार भी देखने को मिलता है। इस त्यौहार पर विवाहित बहनें अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है और गोबर से भाई दूज परिवार का निर्माण करती है। अपने भाई को भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है।

तो इसलिए मनााया जाता है भाईदूज
हिन्दू परंपरा में हर छोटे से बड़े त्यौहार या फिर रिवाज के पीछे कोई न कोई मान्यता अवश्य है वैसे ही सालों साल से चली आ रही भाईदूज की परंपरा के पीछे भी एक मान्यता है जिसकी वजह से आज भी समस्त हिन्दू परिवार यह त्यौहार को मनाते हैं। तो चलिए हम भी इसके पीछे की पौराणिक मान्यता पर एक नजर डालते हैं। दरअसल यमी, यमराज की बहन हैं जिनसे यमराज काफी प्रेम व स्नेह रखते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को एक बार जब यमराज यमी के पास पहुंचे तो यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा सत्कार की। बहन के सत्कार से यमराज काफी प्रसन्न हुए और उनसे कहा कि बोलो बहन क्या वरदान चाहिए। भाई के ऐसा कहने पर यमी बोली की जो प्राणी यमुना नदी के जल में स्नान करे वह यमपुरी न जाए। यमी की मांग को सुनकर यमराज चिंतित हो गये। 

यमी भाई की मनोदशा को समझकर यमराज से बोली अगर आप इस वरदान को देने में सक्षम नहीं हैं तो यह वरदान दीजिए कि आज के दिन जो भाई बहन के घर भोजन करे और मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना के जल में स्नान करे उस व्यक्ति को यमलोक नहीं जाना पड़े। इस पौराणिक कथा के अनुसार आज भी परम्परागत तौर पर भाई बहन के घर जाकर उनके हाथों से बनाया भोजन करते हैं ताकि उनकी आयु बढ़े और यमलोक नहीं जाना पड़े। भाई भी अपने प्रेम व स्नेह को प्रकट करते हुए बहन को आशीर्वाद देते है और उन्हें वस्त्रए आभूषण एवं अन्य उपहार देकर प्रसन्न करते हैं।

2017 में भाई दूज का त्यौहार
इस बार यानि 2017 में भाई दूज 21 अक्टूबर, दिन शनिवार को मनाया जायेगा। भाई दूज (भातृद्वितीया) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।

भाई दूज तिलक का समय
टीका मुहूर्त 1:19 से 3:36
द्वितीय तिथि प्रारम्भ  21 अक्टूबर 2017 को 01:37 बजे
द्वितीय तिथि समाप्त  22 अक्टूबर 2017 को 03:00 बजे

 

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