जन्म कुंडली के - दोष और उपाय
जन्म कुंडली के - दोष और उपाय
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गुरूवर डाॅ. सर्वेश्वर शर्मा  

जीवन में सभी सुख शांति और उन्नति चाहतें है। इसके लिए पुरुषार्थ तो करना ही चाहियें, लेकिन जब प्रयत्न भी असफल होने लगे तो जीवन की समस्याओं के सम्बन्ध में ज्योतिषीय दृष्टि से भी विचार करना चाहियें क्योकि जन्म के ग्रह दोषों के कारण भी कई बार प्रयत्न विफल होतें है। 

ज्योतिष-शास्त्र के प्राचीन आचार्यों ने अपने होरा ग्रंथों में ग्रहों की शाति को विशेष महत्व दिया है। फलदीपिका के रचनाकार मंत्रेश्वर जी ने एक स्थान पर लिखा है कि - "दशापहाराष्टक वर्गगोचरे, ग्रहेषु नृणां विषमस्थितेष्वपि। 
जपेच्चा तत्प्रीतिकरै: सुकर्मभि:, करोति शान्तिं व्रतदानवन्दनै:।।" 

अर्थात - जब कोई ग्रह अशुभ गोचर करे या अनिष्ट ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा हो तो उस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए व्रत, दान, वन्दना, जप, शांति आदि द्वारा उसके अशुभ फल का निवारण करना चाहिए। 

अमावस्या का जन्म -

ऋषि पाराशर जी का मानना है कि अमावस्या के जन्म से घर में दरिद्रता आती है अत: अमावस्या के दिन संतान का जन्म होने पर शांति अवश्य करानी चाहिए। इस उपाय के अंतर्गत विधिपूर्वक कलश स्थापना करके उसमें पंच पल्लव, ज़ड, छाल और पंचामृत डालकर अभिमंत्रित करके अग्निकोण में स्थापना कर दें फिर सूर्य की सोने की, चंद्रमा की चांदी की मूर्ति बनवाकर स्थापना करें और षोडशोपचार या पंचोपचार से पूजन करें फिर इन ग्रहों की समिधा से हवन करें, माता-पिता का भी अभिषेक करें और सोने, चांदी या गाय की दक्षिणा दें और इसके बाद ब्राह्मण भोजन कराएं। इससे गर्त के ग्रह चंद्रमा एवं सूर्य की शांति होती है और जातक का कल्याण होता है। 

कृष्ण चतुर्थी जन्म के उपाय -

चतुर्थी को छ: भागों में बांटा है। प्रथम भाग में जन्म होने पर शुभ होता है, द्वितीय भाग में जन्म हो तो पिता का नाश, तृतीय भाग में जन्म हो तो माता की मृत्यु, चतुर्थ भाग में जन्म हो तो मामा का नाश, पंचम भाग में जन्म हो तो कुल का नाश, छठे भाग में जन्म हो तो धन का नाश या जन्म लेने वाले स्वयं का नाश होता है। 

उपाय : इस दोष का निवारण भगवान शिवजी की पूजा से होता है। यथाशक्ति शिव की स्वर्ण प्रतिमा बनाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इस जप का विधान थो़डा सा तकनीकी और कठिन होता है। हवन में सभी ग्रहों की आहुतियां उनके निमित्त समिधा से दी जाती हैं, बाद में स्थापित कलश के जल से माता-पिता का अभिषेक कराया जाता है।

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